मैं चमारों की गली में ले चलूंगा आपको -अदम गोंडवी

सामाजिक आलोचना के प्रखर कवि अदम गोंडवी । अदम गोंडवी को हिंदी ग़ज़ल में दुष्यन्त कुमार की परंपरा को आगे बढ़ाने वाला शायर माना जाता है। राजनीति, लोकतंत्र और व्यवस्था पर करारा प्रहार करती अदम गोंडवी की ग़ज़लें जनमानस की आवाज हैं। आपके सामने पेश है उनकी सबसे चर्चित कविता, 'मैं चमारों की गली तक ले चलूंगा आपको'। मैं चमारों की गली तक ले चलूंगा आपको आइए महसूस करिए ज़िन्दगी के ताप को। जिस गली में भुखमरी की यातना से ऊब कर मर गई फुलिया बिचारी कि कुएं में डूब कर। है सधी सिर पर बिनौली कंडियों की टोकरी आ रही है सामने से हरखुआ की छोकरी। चल रही है छंद के आयाम को देती दिशा मैं इसे कहता हूं सरजूपार की मोनालिसा। कैसी यह भयभीत है हिरनी-सी घबराई हुई लग रही जैसे कली बेला की कुम्हलाई हुई। कल को यह वाचाल थी पर आज कैसी मौन है जानते हो इसकी ख़ामोशी का कारण कौन है। थे यही सावन के दिन हरखू गया था हाट को सो रही बूढ़ी ओसारे में बिछाए खाट को। डूबती सूरज की किरनें खेलती थीं रेत से घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से। आ रही थी वह चली खोई हुई जज्बात में क्या पता उसको कि कोई भेड़...